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मनरेगा घोटाले में लोहारी राघो की सरपंच सस्पेंड

एक्शन।सत्ता में लौटने के बाद भ्रष्टाचार पर खट्टर सरकार की बडी़ कार्रवाई शुरु, भ्रष्ट सरपंचों की आई शामत

 मनरेगा घोटाले में लोहारी राघो की सरपंच सस्पेंड








  
        



 

तुरंत प्रभाव से पद छोड़ने के निर्देष
ग्राम पंचायत की किसी भी कार्र्वाई में हिस्सा न लेने के निर्देष
अब बहुमत वाले पंच को बनाया जाएगा सरपंच

4 नवंबर 2019, 1:18 PM
हिसार/नारनौंद|भ्रष्ट सरपंचों के अब बुरे दिन शुरु हो गए हैं। विकास कार्यों में गड़बड़झाला करने व मनरेगा जैसी योजनाओं में अपनों को रेवडि़यां बांटने वाले भ्रष्ट सरपंचों पर अब गाज गिरनी तय है। इसकी शुरुआत जिला हिसार के उपमंडल नारनौंद के गांव लोहारी राघो से हो गई है। मनरेगा में किए गए घोटाले के मामले में हिसार जिला उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कडी़ कार्रवाई करते हुए लोहारी राघो की सरपंच चंद्रकांता चांदना को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए भविष्य में ग्राम पंचायत की किसी भी कार्यवाही में भाग न लेने के आदेश दिए हैं। उपायुक्त ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी नारनौंद को आदेश दिए हैं कि वे गांव में बहुमत वाले पंच को सरपंच का कार्यभार संभलवाकर इसकी सूचना तुरंत उपायुक्त कार्यालय में दें। मनोहर-2 सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार पर यह पहली बडी़ कार्रवाई है। लोहारी राघो सरपंच को निलंबित कर सरकार ने साफ-साफ संदेश दे दिया है कि वह अब भ्रष्टाचारियों को किसी भी सूरत में बख्शने वाली नहीं है, चाहे वह कितना ही बडा़ रसूखदार व राजनीतिक पहुंच रखने वाला क्यों न हो।बता दें कि ग्रामीण संजय कुमार ने अगस्त 2017 में आरटीआई के माध्यम से गांव में मनरेगा स्कीम में काम करने वाले लोगों की सूची मांगी थी। सूचना में अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ग्रामीण मदन ने बताया कि 80 आदमी ऐसे हैं जो कभी मजदूरी करने नहीं गए लेकिन उसके खाते में पैसे आ रहे हैं। सूची में सैंकड़ों युवकों के नाम दिए गये है जिनमे से अधिकतर फर्जी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता संजय कुमार ने बताया कि मामले में लाखों रुपए की धांधली की गई है जिसका पूरा चिट्ठा उनके पास मौजूद है। उधर सरपंच चन्द्रकांता यह कहकर पल्ला झाड़ती रही कि विरोधी लोग मुझे काम नहीं करने देना चाहते।

जानें क्या है पूरा मामला 
आरटीआई के जरिये गांववासी संजय भ्याणा व कुलदीप सिंह ने पंचायत विभाग से सूचना मांगी थी। सूचना के बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। खुलासा हुआ कि सरपंच ने मिलीभगत करके गर्भवती महिला, अपंग, नेेत्रहीनों व अस्पताल में दाखिल लोगों को भी मनरेगा मजदूर दर्शा कर उनके खातों में लाखों रुपये जमा करवा दिए। ऐसे 51 लोग पाए गए। इसकी शिकायत जिला प्रशासन को मिली तो जिला परिषद के डिप्टी सीईओ से जांच करवाई गई। एडीसी ने 12 अप्रैल को जांच रिपोर्ट की कॉपी भेजकर को निर्देश दिए कि मामले में जिम्मेदार मनरेगा मेट, सरपंच, ग्राम सचिव व कार्य से संबंधित जेई के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करे और जिन 51 लोगों के खातों में 6 लाख 13 हजार से अधिक की राशि डाली गई है, उसकी रिकवरी की जाए। बार-बार कहने पर भी बीडीपीओ ने रिकवरी नहीं की तो एडीसी ने बीडीपीओ नारनौंद को 23 मई को दोबारा रिमाइंडर भेजकर कार्रवाई के लिए कहा गया।

इस तरह हुआ घोटाला,50-50 का चल रहा था खेल
सूत्रों की मानें तो इस घोटाले में 50-50 का खेल चल रहा था।यानि सरपंच ने अपने चमचों को फायदा पहुंचाने के लिए उनके मनरेगा जोब कार्ड बनवाए और फिर घर बैठे उनके खातों में मजदूरी की राशि डाली जाती रही। घोटाले में जिन 51 लोगों के नाम सामने आए हैं उनमें से अधिकतर तो एक दिन भी काम पर नहीं गए जबकि उनकी साईट पर हाजिरी दिखाई जाती रही। उनके मुताबिक 50 फीसद पैसा सरपंच व उसके चहेते पंच व मेट डकार रहे थे तो 50 फीसद पैसे फर्जी मजदूरों को रेवडि़यों की तरह बांटे जा रहे थे।एक ग्रामीण बताया कि वह कभी भी मनरेगा में मजदूरी करने नहीं गया, लेकिन सरपंच ने उसके खाते में पैसे भेज दिए। इसकी शिकायत उसने जांच करने आए अधिकारियों से भी की थी। वहीं गांव के पंच राजेश भ्याणा व जसवंत सहित अनेक पंचों ने भी न केवल सरपंच चंद्रकांता के गबन का खुलासा किया बिल्क घोटाले से संबंधित हर जांच में भरपूर साथ दिया। उन्होंने बताया कि वह सरपंच का काफी लंबे समय से विरोध कर रहे थे, लेकिन सरपंच ने भ्रष्टाचार में कसर नहीं छोड़ी।

जिस दिन महिला की डिलिवरी, उसी दिन मनरेगा में दिखाया काम
आरटीआई में सामने आया कि सरपंच ने मेट अजय कुमार व मेट मनोज पाहवा की मिलीभगत से बिना मजदूरी करवाए 51 लोगों के बैंक खातों में 6 लाख 13 हजार 129 रुपये डलवा दिए। वहीं एक महिला ने जिस दिन अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया, उसी दिन उसे मनरेगा में कार्य करता दिखाकर उसके बैंक खाते में पैसे भेजे गए। कई जगह मस्ट्रोल में कटिंग की हुई है और कई जगहों पर तो न हस्ताक्षर है, न अंगूठे के निशान।

इनके खातों में भेजे गए रुपये
- ग्रामीण किशनलाल अग्रोहा अस्पताल में दाखिला, उसके खाते में भी मजदूरी के पैसे लगातार भेजे गए।
- वजीर सिंह को पैरालिसिस है, वह चल नहीं सकता, लेकिन उसके खाते में भी पैसे भेजे गए।
- प्रवीण कुमार जन्म से पोलियो का शिकार है और व्हीलचेयर पर चलता है, उसके खाते में भी पैसे भेजे गए।
- टेकराम दृष्टिहीन है, उसे भी मजदूरी करते दिखाया गया है।
- महावीर भी दृष्टिहीन है, उसके खाते में भी पैसे भेजे गए हैं।
- प्रवीण नाम के तीन अलग-अलग मजदूर दिखाए गए हैं, लेकिन तीनों के हस्ताक्षर एक जैसे हैं।

मेट भी कम नहीं दोषी, होनी चाहिए सख्त कार्रवाई
मेट ने अपने ही परिवार के लोगों के खाते में सबसे ज्यादा पैसे भिजवाए हैं।मेट ने अपने पिता व माता के खातों में पैसे डलवा दिए जो कि एक दिन भी काम पर नहीं गए।


हिसार जिला उपायुक्त द्वारा दिए गए निलंबन आदेश ।

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