लोहारी राघो.कॉम
लोहारी राघो। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा हरियाणा के जिला हिसार स्थित गाँव लोहारी राघो में अब तक दो बार खुदाई की जा चुकी है। ( These-are-historians-and-archaeologists-who-discovered-history-in-Lohari-Ragho) गाँव में पहली बार खुदाई व शोध कार्य वर्ष 2015-16 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एआईएचसी और पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर रविंद्रनाथ सिंह के नेतृत्व में किया गया। इस खुदाई में मिली वस्तुओं ने इतिहासकारों को चौंका दिया। तत्पश्चात वर्ष 2017-18 में दोबारा से गाँव में खुदाई कार्य शुरू किया गया। इस बार भी शोध कार्य में जुटी टीम का नेतृत्व बीएचयू के प्रोफेसर रविंद्रनाथ सिंह ही कर रहे थे। इस बार खुदाई के लिए गाँव के अलग खेत में भूमि के करीब 200 स्क्वायर मीटर टुकड़े का चयन किया गया था। इस बार भी खुदाई कार्य व शोध टीम में टीम में इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से आए कैमरन ए पेट्री ,व एलेसेंड्रो सेकेरेल्ली, कैम्ब्रिज विवि के मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च से जेनिफर बेट्स समेत भारत, सिंगापुर व इंग्लैंड से आए 23 इतिहासकार व पुरातत्वविद शामिल थे। लोहारी राघो से खुदाई में मिले सभी अवशेष वर्तमान में वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एआईएचसी और पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित हैं और इन पर शोध कार्य धड़ल्ले से जारी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं लोहारी राघो में वर्ष 2015-18 तक शोध कार्य करने वाले देश व दुनिया के सभी 23 इतिहासकारों व पुरातत्वविदों के बारे में। नीचे आप इन सभी इतिहासकारों व पुरातत्वविदों की सूची पढ़ सकते हैं। लोहारी राघो में इतिहास की खोज करने वाले कुछ प्रसिद्ध इतिहासकारों के फोटो व भी उपलब्ध कर वाए गए हैं। कुछ तस्वीरों में इन इतिहासकारों के गाँव लोहारी राघो में बिताए गए यादगार व ऐतिहासिक लम्हे भी कैद हैं। वास्तव में ये गाँव लोहारी राघो के बाशिंदों व इन इतिहासकारों के लिए न भूलने वाली यादें हैं।
गाँव लोहारी राघो में वर्ष 2017-18 में इतिहास की खोज करने वाले सभी इतिहासकार व पुरतत्वविद एक सामूहिक तस्वीर में। |
1. रविंद्र नाथ सिंह, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग ,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
2. कैमरन ए पेट्री , पुरातत्व विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
3. जेनिफर बेट्स, मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
4. एलेसेंड्रो से केरेल्ली, पुरातत्व विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय,इंग्लैंड
5. ए. आलम, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
6. एस. चक्रवर्ती, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
7 एस. चक्रधारी, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
8. ए .चौधरी, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
9. वाई. दीक्षित, सिंगापुर की पृथ्वी वेधशाला,
10. सी.ए.आई. फ्रेंच,पुरातत्व विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
11. ए. गिशे, पृथ्वी विज्ञान विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
12. ए.एस. ग्रीन, मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
13. एल.एम. ग्रीन,मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
14. पी.जे. जोन्स, पुरातत्व विभाग, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
15. ई .लाइटफुट, मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
16. ए.के. पांडे,एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
17. वी. पंवार, इतिहास विभाग, एमडी विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा
18. ए.रंजन,एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
19. डी.आई. रेडहाउस, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
20. डी.पी. सिंह, एआईएचसी और पुरातत्व विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
21. ए .सूर्यनारायण, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड
22. एम.सी. उस्तुनकाया,मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
23. जे.आर. वाकर,मैकडॉनल्ड्स इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च, कैम्ब्रिज विवि
लोहारी राघो के इतिहास की खोज की कहानी, तस्वीरों की जुबानी
लोहारी राघो के एक खेत में खुदाई कार्य के दौरान गाँव के मजदूरों के साथ दिखाई दे रहे हैं इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कैमरन ए पेट्री व जेनिफर बेट्स। |
लोहारी राघो में खुदाई कार्य के दौरान गाँव के मजदूरों के साथ दिखाई दे रहे हैं इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कैमरन ए पेट्री । |
लोहारी राघो। एक खेत में खुदाई कार्य शुरु करने से पहले सर्वे करती इतिहासकारों की टीम। |
खुदाई कार्य के दौरान चप्पल में लगी नुकीली कील दिखाती जेनिफर बेट्स
लोहारी राघो। वर्ष 2017-18 के दौरान गाँव लोहारी राघो के इसी मकान में ठहरे थे खुदाई के लिए आए इतिहासकार। |
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