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पाकिस्तान में आज ‘लोहारी वालों’ के नाम से मशहूर है यह गाँव, पढ़ें हैरतंगेज व दिलचस्प कहानी

  • लोहारी राघो से गए मुस्लिम परिवारों ने बसाया था पाकिस्तान का यह गाँव 
  • 73 साल पहले वर्ष 1947 में लोहारी राघो से गए करीब 55-60 परिवार व उनकी पीढ़ीयां आबाद हैं यहाँ 


 लोहारी राघो. कॉम 
संदीप कम्बोज। प्रवीन खटक 
लोहारी राघो। किसी भी पुरातन सभ्यता या गाँव-शहर के इतिहास को समझने व जानने के लिए उसकी  तह तक जाना पड़ता है। (Muslim-families-from-Lohari-Ragho-had-established-this-village-in-Pakistan) गाँव लोहारी राघो का इतिहास भी अनेक ऐसे रोचक व ऐतिहासिक किस्से-कहानियों से भरा है। लोहारी राघो.कॉम टीम ने पाकिस्तान में एक ऐसे गाँव को खोज निकाला है जिसे बसाने वाले बाशिंदें मूल रूप से गाँव लोहारी राघो के हैं। इस गाँव को आबाद करने का पूरा श्रेय लोहारी राघो से गए मुस्लिम परिवारों को ही जाता है। पाकिस्तान में आज भी इस गाँव को लोहारी वालों के गाँव के नाम से जाना जाता है और ये लोग आज भी अपने नाम के पीछे ‘लोहारी वाला’ सरनेम का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि इमाम अली लोहारी वाला। आज भी इस गाँव में दर्जनों ऐसे वृद्ध मौजूद हैं जिनका जन्म लोहारी राघो गाँव में हुआ था लेकिन 73 साल पहले वर्ष 1947 में दो मुल्कों के बंटवारे ने इन्हें अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए विवश कर डाला। वर्तमान में इस गाँव में लोहारी राघो से आए करीब 200 परिवार व उनकी पीढ़ियाँ आबाद हैं। चलिए आज हम आपकोे बताते हैं पाकिस्तान में लोहारी राघो के बाशिंदों द्वारा बसाए इस गाँव की दिलचस्प व हैरतंगेज कहानी। पाकिस्तान का लोहारी कहे जाने वाले इस गाँव का नाम है टिब्बा रावगढ़ जो कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला मुल्तान में जिला मुख्यालय से महज 35 किमी. की दूरी पर बहावलपुर रोड पर स्थित है जहाँ  आज भी गाँव लोहारी राघो से गए दर्जनों परिवार व उनकी पीढियां आबाद हैं। गाँव टिब्बा रावगढ़ जाने के लिए आपको मुलतान-बहावलपुर  मुख्य मार्ग पर स्थित बस्ती मलूक जाना होगा और बस्ती मलूक से ही रोड जा रहा है गाँव टिब्बा रावगढ़ के लिए जैसा कि हमने आपको गुगल मैप पर दर्शाया है।

इसी गाँव में आबाद है लोहारी राघो के फकीर बाबा बख्शू शाह का परिवार  
सबसे बड़ी बात पाकिस्तान के इसी गाँव में मौजूद है गाँव लोहारी राघो के फकीर बाबा बख्शू शाह की पांचवीं व छठी पीढ़ी। बाबा बख्शू शाह की चौथी पीढ़ी यानि बाबा बख्शू शाह के पड़पोते इमाम अली का जन्म भी गाँव लोहारी राघो का ही है। 11 साल पहले वर्ष 2009 में इमाम अली का देहांत हो गया। लेकिन इमाम अली की धर्मपत्नी जुलेखा बीबी व बहन सलमाँ बीबी आज भी जीवित हैं। इमाम अली की धर्मपत्नी जुलेखा बीबी भारत में हरियाणा के गाँव दाहिमा की रहने वाली थी जो कि अब पाकिस्तान के इसी गाँव में रह रही हैं जबकि इमाम अली की बहन यानि बाबा बख्शू शाह की पड़पोती सलमाँ बीबी भी पाकिस्तान के इसी गाँव में आबाद हैं । जल्द ही हम आपको बाबा बख्शू शाह के जीवन से जुडे अनेक ऐसे रोचक व अनसुने किस्से भी बताएंगे जिन्हें आपने इससे पहले कभी नहीं सुना होगा।

                                                                                         
स्वर्गीय इमाम अली(बाबा बख्शू शाह की  चौथी पीढ़ी)
53 साल तक लोहारी राघो में रहे थे इमाम अली, 115 साल की आयु में पाकिस्तान में हुआ निधन  
मूल रूप से भारत के हरियाणा प्रांत के जिला हिसार के तहसील नारनौंद स्थित गाँव लोहारी राघो में वर्ष 1894 में जन्मे इमाम अली लोहारी राघो के सूफी फकीर बाबा बख्शू शाह की चौथी पीढ़ी से थे यानि की बाबा बख्शु शाह के पड़पोते। गाँव लोहारी राघो में इनका मकान आज जहां रामस्वरुप वैद्य का घर है,ठीक उनके घर के सामने आस-पास ही था। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बने हालात के मद्देनजर न चाहते हुए भी इमाम अली को परिवार समेत गाँव लोहारी राघो को छोड़कर जाना पड़ा। लोहारी राघो को छोड़कर जाने के समय वर्ष 1947 में इमाम अली की आयु 53 वर्ष थी। ये वही इमाम अली हैं जब भारतवर्ष में रहते हुए इन्होंने ब्रिटिश पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली थी लेकिन अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए जा रहे जुल्म इनसे देखे नहीं गए व  एक अंग्रेज पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की धुनाई कर नौकरी छोड़कर वापिस लोहारी राघो भाग आए। अंग्रेजों से दुश्मनी इन्हें इस कदर महंगी पड़ी की गोरे इनकी जान के दुश्मन बन बैठे व इन्हें गिरफ्तार करने के लिए गाँव लोहारी राघो में कई बार दबिश दी। एक बार तो अंग्रेज पुलिस ने गोलियां भी चला दी थी जिनमें से एक गोली इनकी जांघ पर लगी जिसका निशान उनके मरते दम तक मौजूद था। 10 मई 2009 को 115 वर्ष की आयु में इमाम अली का देहांत हो गया। आज इमाम अली के बेटे असगर अली(बाबा बख्शू शाह की पांचवीं पीढ़ी)व पोते कामरान राव व इमरान अली(बाबा बख्शू शाह की छठी पीढ़ी) गाँव टिब्बा रावगढ़ में रहे रहे हैं।

पाठक कृप्या ध्यान दें : गाँव लोहारी राघो के बाशिंदों द्वारा बसाए पाकिस्तान के इस गाँव टिब्बा रावगढ़ में मौजूद लोहारी राघो के सभी वृद्धोंं की कहानी हम आपको अपनी अगली श्रृंखला में बताएंगे। टिब्बा रावगढ़ के अलावा हमने पाकिस्तान के भिन्न-भिन्न इलाकों में रह रहे गाँव लोहारी राघो के अनेक बाशिंदों को भी ढूंढ़ निकाला है जिनके बारे में हम आपको पूरी जानकारी जल्द ही उपलब्ध करवाएंगे। 


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