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पाकिस्तान में भी है लोहारी राघो के सूफी फकीर बाबा बख्शू शाह की दरगाह, देखें वीडियो




लोहारी राघो. कॉम
संदीप कम्बोज। प्रवीन खटक 
लोहारी राघो। सत्रहवीं शताब्दी में गाँव लोहारी राघो में अवतार धारण करने वाले सूफी फकीर बाबा बख्शू शाह की महिमा का डंका आज पाकिस्तान में भी बज रहा है। (The-tomb-of-Lohari-Ragho-Sufi-Fakir-Baba-Bakhshu-Shah-is-also-in-Pakistan) गांव लोहारी  राघो के अलावा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के जिला मुल्तान स्थित गाँव टिब्बा रावगढ़ में भी बाबा बख्शू शाह का दरबार बना है। यहाँ के लोगों में भी बाबा बख्शू  शाह के प्रति अगाध आस्था जुड़ी है। पाकिस्तान के टिब्बा रावगढ़ स्थित बाबा बख्शू शाह के इस दरबार में भी बाबा बख्शु शाह के साथ-साथ उनके बेटे चांद खां की भी कबर शरीफ(समाधी स्थल)बनी हैं। दरअसल इस गाँव टिब्बा रावगढ़ की कहानी हम आपको पहले ही बता चुके हैं। यह गाँव वर्ष 1947 में मूल रूप से भारतवर्ष के हरियाणा प्रांत के जिला हिसार के गाँव लोहारी राघो से गए मुस्लिम परिवारों ने ही बसाया था। भारत-पाक विभाजन के समय गाँव लोहारी राघो से गए 100 से भी ज्यादा परिवार टिब्बा रावगढ़ में जाकर बस गए। गाँव लोहारी राघो छोड़कर जाने वाले इन परिवारों में बाबा बख्शू शाह के पड़पोते इमाम अली (चौथी पीढ़ी) का परिवार भी था जो आज भी यहाँ टिब्बा रावगढ़ में रह रहा है। इमाम अली का तो 115 वर्ष की आयु में 10 मई 2009 को निधन हो गया लेकिन इमाम अली की धर्मपत्नी जुलेखा बीबी व बहन सलमाँ बीबी आज भी जीवित हैं। इमाम अली की धर्मपत्नी जुलेखा बीबी भारत में हरियाणा के  जिला हिसार के गाँव दाहिमा की रहने वाली थी जो कि अब पाकिस्तान के इसी गाँव में रह रही हैं जबकि इमाम अली की बहन यानि बाबा बख्शू शाह की पड़पोती भी इसी गाँव में आबाद हैं।

गाँव टिब्बा रावगढ़ में स्थित बाबा बख्शू शाह की समाधी।
पाकिस्तान में बाबा बख्शू शाह दरगाह बनाए जाने के पीछे है यह वजह 
वर्ष 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय बाबा बख्शू शाह के पड़पोते इमाम अली लोहारी राघो को छोड़कर पाकिस्तान के टिब्बा रावगढ़ में आकर बस गए। बख्शू शाह के पड़पोते इमाम अली के बेटे असगर अली ने बताया कि एक दिन बाबा बख्शू शाह मेरे पिता इमाम अली के सपने में आए और फरमाया कि हम लोहारी में भी हैं और तुम्हारे साथ यहाँ भी आ गए हैं। इसलिए तुम यहाँ भी हमारी कब्र शरीफ(समाधी स्थल) बना दो। उन्होंने इमाम अली को सपने में वह जगह भी दिखाई जहाँ समाधी स्थल बनाए जाने हैं। इस प्रकार बाबा बख्शू शाह द्वारा किए गए वचन अनुसार इमाम अली ने अपने नए गाँव टिब्बा रावगढ़ में ठीक उसी स्थान पर बाबा बख्शु शाह व उनके बेटे चांद खां के समाधी स्थल बना दिए जैसा कि उन्हें सपने में वचन हुए थे। यहाँ बता दें कि गाँव लोहारी राघो में भी बाबा बख्शू शाह की समाधी के साथ उनके भतीजे चांद खां की भी समाधी स्थापित है।



पाठक ध्यान दें : अगली कड़ी में हम आपको बाबा बख्शू शाह की जीवनी के साथ-साथ उनसे जुड़ी अनेक तरह की रोचक कहानियाँ व बाबा से जुड़ी कुछ ऐसी दुर्लभ वस्तुएं भी दिखाएंगे जिन्हें खुद बाबा बख्शू शाह इस्तेमाल किया करते थे। 

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