अति पिछड़े ग्रामीण इलाके में विद्यालय की स्थापना कर 35 साल से जला रहे ज्ञान की लौ
संदीप कम्बोज । लोहारी राघो.com
लोहारी राघो। ‘‘प्रचंड ग्रीष्म में सावन की फुफकार है तू , बारिश बाद सौंधी खुशबू युक्त बयार है तू। हर्षोल्लास का छोटा-सा मीनार है तू , बहुआयामी व्यक्तित्व का आकार है तू। गिरकर स्वयं उठने वाली मझदार है तू, आप में ही एक मजेदार विकार है तू। असर है, आसार है, आभार है तू, सच कहूँ तो जीवन का असली चित्रकार है तू, शिल्पकार है तू...।’’ जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करती ये पंक्तियां सिर्फ यही संदेश दे रही हैं कि माँ-बाप के बाद जीवन में सबसे बड़ा दर्जा यदि कोई है तो वह गुरु का है। शायद आपके जीवन में भी कभी ना कभी किसी ऐसे गुरु या शिक्षक का आगमन जरुर हुआ होगा जिसने आपके जीवन की दिशा बदल दी या फिर आपको जीवन जीने का सही ढ़ंग सिखाया। आज अध्यापक दिवस के अवसर पर हम आपको गाँव लोहारी राघो के एक ऐसे अध्यापक की कहानी बताने जा रहे हैं जो पिछले 35 सालों से ग्रामीण परिवेश में ज्ञान की लौ जलाते आ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं न्यू आदर्श सीनियर सैकेंडरी स्कूल के संस्थापक मास्टर बलवंत यादव जी की। एक अति पिछड़े ग्रामीण इलाके में विद्यालय की स्थापना कर उन्होंने न केवल शिक्षा की अलख जलाई बल्कि हजारों विद्यार्थियों के सफल जीवन की भी नींव रखी। मास्टर जी ने शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया तथा आदर्शों व संस्कारों की भी ऐसी राह दिखाई जिस पर चलकर आज इनके हजारों शिष्य बुलंदियों को छू रहे हैं। मास्टर बलवंत यादव को वास्तव में लोहारी राघो का शिल्पकार कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि समाज का असली शिल्पकार शिक्षक ही है। मास्टर बलवंत यादव ने न केवल विद्यार्थियों को सही सुझाव दिए बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी सही दिशा दिखाकर प्रेरित किया। लोहारी राघो जैसे पिछड़े ग्रामीण इलाके में आदर्श एजुकेशन सोसायटी की स्थापना कर मास्टर बलवंत यादव ने ज्ञान की लौ जलाई तो अशिक्षा का अंधियारा हारने लगा। विद्यालय से अब तक हजारों विद्यार्थियों ने शिक्षा अर्जित कर अपना भविष्य संवारा है और संवार रहे हैं। लोहारी राघो.कॉम टीम आज अध्यापक दिवस के अवसर पर मास्टर बलवंत यादव जी को दिल से सलाम करती है तथा मास्टर जी की लंबी आयु की कामना करती है।
1984 से ज्ञान की लौ जला रहा आदर्श विद्यालय
साल 1981 में स्नातक की पढ़ाई व डिप्लोमा करने के उपरांत मास्टर बलवंत यादव ने वर्ष 1984 में लोहारी राघो में आदर्श एजुकेशन सोसायटी की स्थापना कर एक धर्मशाला में आदर्श विद्यालय की नींव रखी। विद्यालय का उद्घाटन तत्कालीन सरपंच महेश भ्याना ने किया। मास्टर बलवंत यादव बताते हैं कि विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक ग्रामीण पूरा सहयोग करते आ रहे हैं। शुरूआत में संसाधनों की कमी होने के बावजूद भी विद्यालय का परिणाम चौंका देने वाला रहा। विद्यालय के विद्यार्र्थियों ने नवोदय सैनिक स्कूल की परीक्षा व छात्रवृत्ति परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुआ सफर आज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तक पहुंच चुका है। ग्रामीणों के अथाह सहयोग से विद्यालय को वर्ष 1998 में मिडल स्कूल में अपग्रेड कर दिया गया जबकि वर्ष 2002 में 10वीं तो वर्ष 2014 में सीनियर सैकेंडरी की कक्षाएं शुरू हो गई। विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों का प्रदर्शन काबिले तारिफ रहा है। अब तक विद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। बोर्ड परीक्षाओं में विद्यालय के विद्यार्थी कभी स्टेट टॉपर तो कभी जिला व ब्लॉक टॉपर भी रहे हैं।
रोजाना 35 किमी साईकिल चलाकर आते थे विद्यालय
विद्यालय की स्थापना के शुरूआती समय में मास्टर जी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। उस समय न तकनीक थी न ही संसाधन। यहाँ तक कि यातायात की सुविधा भी नहीं। जिस वजह से मास्टर जी रोजाना करीब 35 किमी तक साईकिल चलाकर विद्यालय पहुंचते। अपने पैतृक गाँव ढ़ाना खुर्द जो कि हांसी से 10 किमी दूर स्थित है, से रोजाना 35 किमी. साईकिल चलाकर विद्यालय आना और विद्यालय की छुट्टी के उपरांत 35 किमी. साईकिल चलाकर वापिस जाना रोजाना का नियम था।
बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी को लेते थे एक्स्ट्रा क्लास
मास्टर बलवंत यादव जी ने बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए विद्यार्थियों का खासा ख्याल रखा। इसके लिए मास्टर जी ने विद्यालय में ही स्कूल टाईम के बाद एक्स्ट्रा कक्षाएं शुरू करवाई ताकि बच्चों को अलग से कोचिंग की जरूरत न पड़े। गरीब विद्यार्थियों को भी इससे काफी राहत मिली। सालों-साल यह सिलसिला चलता रहा। परिणास्वरूप विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम शत प्रतिशत आने लगा। यही नहीं विद्यालय में नैतिक शिक्षा पर भी विशेष बल दिया गया। मास्टर जी द्वारा आदर्श विद्यालय के रूप में रोपित किया गया पौधा आज प्रफुल्लित होकर लोहारी राघो व आस-पास के ग्रामीण इलाके को शिक्षा व आदर्शों की खुशबू से महका रहा है। मास्टर जी को एक बार फिर अध्यापक दिवस की शुभकामनाएं व चरण वंदन।
मास्टर बलवंत यादव |
संदीप कम्बोज । लोहारी राघो.com
लोहारी राघो। ‘‘प्रचंड ग्रीष्म में सावन की फुफकार है तू , बारिश बाद सौंधी खुशबू युक्त बयार है तू। हर्षोल्लास का छोटा-सा मीनार है तू , बहुआयामी व्यक्तित्व का आकार है तू। गिरकर स्वयं उठने वाली मझदार है तू, आप में ही एक मजेदार विकार है तू। असर है, आसार है, आभार है तू, सच कहूँ तो जीवन का असली चित्रकार है तू, शिल्पकार है तू...।’’ जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करती ये पंक्तियां सिर्फ यही संदेश दे रही हैं कि माँ-बाप के बाद जीवन में सबसे बड़ा दर्जा यदि कोई है तो वह गुरु का है। शायद आपके जीवन में भी कभी ना कभी किसी ऐसे गुरु या शिक्षक का आगमन जरुर हुआ होगा जिसने आपके जीवन की दिशा बदल दी या फिर आपको जीवन जीने का सही ढ़ंग सिखाया। आज अध्यापक दिवस के अवसर पर हम आपको गाँव लोहारी राघो के एक ऐसे अध्यापक की कहानी बताने जा रहे हैं जो पिछले 35 सालों से ग्रामीण परिवेश में ज्ञान की लौ जलाते आ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं न्यू आदर्श सीनियर सैकेंडरी स्कूल के संस्थापक मास्टर बलवंत यादव जी की। एक अति पिछड़े ग्रामीण इलाके में विद्यालय की स्थापना कर उन्होंने न केवल शिक्षा की अलख जलाई बल्कि हजारों विद्यार्थियों के सफल जीवन की भी नींव रखी। मास्टर जी ने शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया तथा आदर्शों व संस्कारों की भी ऐसी राह दिखाई जिस पर चलकर आज इनके हजारों शिष्य बुलंदियों को छू रहे हैं। मास्टर बलवंत यादव को वास्तव में लोहारी राघो का शिल्पकार कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि समाज का असली शिल्पकार शिक्षक ही है। मास्टर बलवंत यादव ने न केवल विद्यार्थियों को सही सुझाव दिए बल्कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए भी सही दिशा दिखाकर प्रेरित किया। लोहारी राघो जैसे पिछड़े ग्रामीण इलाके में आदर्श एजुकेशन सोसायटी की स्थापना कर मास्टर बलवंत यादव ने ज्ञान की लौ जलाई तो अशिक्षा का अंधियारा हारने लगा। विद्यालय से अब तक हजारों विद्यार्थियों ने शिक्षा अर्जित कर अपना भविष्य संवारा है और संवार रहे हैं। लोहारी राघो.कॉम टीम आज अध्यापक दिवस के अवसर पर मास्टर बलवंत यादव जी को दिल से सलाम करती है तथा मास्टर जी की लंबी आयु की कामना करती है।
1984 से ज्ञान की लौ जला रहा आदर्श विद्यालय
साल 1981 में स्नातक की पढ़ाई व डिप्लोमा करने के उपरांत मास्टर बलवंत यादव ने वर्ष 1984 में लोहारी राघो में आदर्श एजुकेशन सोसायटी की स्थापना कर एक धर्मशाला में आदर्श विद्यालय की नींव रखी। विद्यालय का उद्घाटन तत्कालीन सरपंच महेश भ्याना ने किया। मास्टर बलवंत यादव बताते हैं कि विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक ग्रामीण पूरा सहयोग करते आ रहे हैं। शुरूआत में संसाधनों की कमी होने के बावजूद भी विद्यालय का परिणाम चौंका देने वाला रहा। विद्यालय के विद्यार्र्थियों ने नवोदय सैनिक स्कूल की परीक्षा व छात्रवृत्ति परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया। प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुआ सफर आज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तक पहुंच चुका है। ग्रामीणों के अथाह सहयोग से विद्यालय को वर्ष 1998 में मिडल स्कूल में अपग्रेड कर दिया गया जबकि वर्ष 2002 में 10वीं तो वर्ष 2014 में सीनियर सैकेंडरी की कक्षाएं शुरू हो गई। विद्यालय की स्थापना से लेकर आज तक बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों का प्रदर्शन काबिले तारिफ रहा है। अब तक विद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। बोर्ड परीक्षाओं में विद्यालय के विद्यार्थी कभी स्टेट टॉपर तो कभी जिला व ब्लॉक टॉपर भी रहे हैं।
रोजाना 35 किमी साईकिल चलाकर आते थे विद्यालय
विद्यालय की स्थापना के शुरूआती समय में मास्टर जी का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा। उस समय न तकनीक थी न ही संसाधन। यहाँ तक कि यातायात की सुविधा भी नहीं। जिस वजह से मास्टर जी रोजाना करीब 35 किमी तक साईकिल चलाकर विद्यालय पहुंचते। अपने पैतृक गाँव ढ़ाना खुर्द जो कि हांसी से 10 किमी दूर स्थित है, से रोजाना 35 किमी. साईकिल चलाकर विद्यालय आना और विद्यालय की छुट्टी के उपरांत 35 किमी. साईकिल चलाकर वापिस जाना रोजाना का नियम था।
बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी को लेते थे एक्स्ट्रा क्लास
मास्टर बलवंत यादव जी ने बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए विद्यार्थियों का खासा ख्याल रखा। इसके लिए मास्टर जी ने विद्यालय में ही स्कूल टाईम के बाद एक्स्ट्रा कक्षाएं शुरू करवाई ताकि बच्चों को अलग से कोचिंग की जरूरत न पड़े। गरीब विद्यार्थियों को भी इससे काफी राहत मिली। सालों-साल यह सिलसिला चलता रहा। परिणास्वरूप विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम शत प्रतिशत आने लगा। यही नहीं विद्यालय में नैतिक शिक्षा पर भी विशेष बल दिया गया। मास्टर जी द्वारा आदर्श विद्यालय के रूप में रोपित किया गया पौधा आज प्रफुल्लित होकर लोहारी राघो व आस-पास के ग्रामीण इलाके को शिक्षा व आदर्शों की खुशबू से महका रहा है। मास्टर जी को एक बार फिर अध्यापक दिवस की शुभकामनाएं व चरण वंदन।
Sardar Naman hai master ji lo
ReplyDeleteHappy teachers day sir. True words
ReplyDeleteHappy teachers day to all staff
ReplyDeleteHappy Teachers Day Sir ji
ReplyDeleteHappy teacher's day sir 🙏
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