- जानें अब तक कौन बर्बाद करता आ रहा गाँव को, लोहारी राघो के हर वोटर को होनी चाहिए यह अहम जानकारियां
- इस पंचायत चुनाव हर खोटे सिक्के को चलन से बाहर निकाल फैंकें
- युवा साथियों से अपील,अपने घर परिवार में बुजुर्गों, आस-पड़ौस, मोहल्ले के लोगों को ज्यादा से ज्यादा करें जागरूक
संदीप कम्बोज । www.lohariragho.in
लोहारी राघो। ऐतिहासिक गाँव की चौधर का ताज इस बार किसके सिर सजेगा, यह कहना तो अभी जल्दबाजी होगा लेकिन इतना तो तय हो गया है कि ग्राम पंचायत में इस बार पिछड़ा वर्ग-ए से संबंधित सरपंच चुना जाएगा क्योंकि हाल ही में संपन्न हुए ड्रा में गाँव लोहारी राघो के सरपंच पद को बीसी-ए के लिए आरक्षित किया गया है। लोहारी राघो के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब यहां बीसी-ए का सरपंच बनने जा रहा है। हमारा गाँव जिन मुख्य समस्याओं से जूझ रहा है, उनमें सबसे बड़ी पंचायती व सरकारी जमीनों, जोहड़ों, ड्रेनों पर अवैध कब्जे की है। क्योंकि पिछले सालों में गाँव को अनेक प्रोजेक्ट मिले और गाँव की पंचायत ने इन सभी को यह कहकर लेने से मना कर दिया कि हमारे गाँव में पंचायती जमीन ही नहीं है जबकि हर ग्रामीण जानता है कि गाँव में 40 फीसद से ज्यादा पंचायती जमीन व जोहड़ों पर अवैध कब्जे किए गए हैं। अब यदि कोई उम्मीदवार ऐसा मैदान में आता है तो उसके सामने बड़ी चुनौती इन अवैध कब्जों को छुड़वाना होगी। इसके अलावा गाँव में पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, सफाई से संबंधित भी समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं जिन्हें हल करने में पूर्व पंचायतें पूरी तरह से फेल रही। पिछले पांच साल से लोहारी राघो का विकास मनरेगा घोटाले के चक्रव्यहु में ऐसा फंसा कि बाहर निकल ही नहीं पाया। खैर छोड़िए जो हुआ, सो हुआ। अब भविष्य को लेकर प्लानिंग की जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। लोहारी राघो के धरातल पर नजर दौड़ाते हैं तो भ्रष्टाचार रुपी दीमक ने हमारी पंचायत समेत लगभग पूरे गाँव को खोखला कर डाला है। हर कोई अपने घर भरने में लगा है। किसी को गाँव से कोई हमदर्दी नहीं। चाहे पंचायती हों, गाँव के अलग-अलग जातियों के ठेकेदार, राजनेताओं के करीबि और गाँव की अलग-अलग कमेटियोें के कर्ता-धर्ता। यदि इन सभी की नियत सही हो जाए और ये अपने निजी स्वार्थ को त्यागकर गाँव की भलाई पर ध्यान दें, गाँव में सार्वजनिक कार्यों खासकर बड़े प्रोजेक्ट लाने पर जोर दें तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा गाँव भी हिन्दुस्तान के विकसित गाँवों की श्रेणी में आ खड़ा होगा। लेकिन लोहारी राघो में नेताओं के करीबि, पंचायती व जातियों के जो ठेकेदार हैं, उन्हें अपने भाई-भतीजों, रिश्तेदारों, चापलूसों के निजी कामों से ही फुर्सत नहीं है। यदि ऐसा नहीं होता तो आज लोहारी राघो पर भ्रष्टाचार रुपी बदनामी का इतना बड़ा धब्बा कभी न लगता। इनमें नेताओें की भी लापरवाही रही है कि वे लगातार घोटालेबाजों को शह देते रहे, परिणामस्वरुप यह गाँव आज भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बनकर रह गया। मनरेगा घोटाला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अगर ये नेता इन घोटालेबाजोें को न बचाते तो शायद लोहारी राघो से भ्रष्टाचार खत्म होने की उम्मीद की जा सकती थी। अब हमारे गाँव में पहले से भी ज्यादा भ्रष्टाचार होगा। क्योंकि भ्रष्टाचारियों को नेताओं से संजीवनी बूटी के साथ-साथ ग्रीन सिग्नल भी मिल चुका है कि आप जो मर्जी कीजिए, हम आपके साथ डटकर खड़े हैं। भविष्य की पंचायत में भी इससे भी ज्यादा मनमानी होगी। वे यही सोचकर पंचायती फंड में भ्रष्टाचार व लूट-खसोट का नंगा नाच करेंगे कि आखिर पहले वालों का क्या बिगड़ गया, जो हमारा कोई बिगाड़ेगा। अगर कोई दिक्कत हुई नेता जी तो बैठे ही हैं ना,बचा ही लेंगे। तो यही सोच लेकर पहले से भी दोगुना-चोगुना भ्रष्टाचार हो सकता है आगे नई बनने जा रही पंचायत में।
तो अब गाँव को बचाने का सारा दारोमदार युवा साथियों के कंधों पर है। आप आगे आएं और खुद गाँव की कमान संभालें। पुराने खोटे-सिक्कों को चलन से बाहर निकाल फैंकें। मतलब जो पुराने पंचायती हैं, उनकी नई पंचायत में तनिक भी दखलंदाजी न हो। क्योंकि लोहारी राघो में कुछ 10-15 लोग ऐसे हैं जो पिछले कई सालों से हर पंचायत के कामों में टांग अड़ाते आ रहे हैं। अब आप ऐसे लोगों को खुद पहचानें। आखिर ये कौन लोग हैं जो हर पंचायत में अपनी चौधर चला रहे होते हैं। इन लोगों की मंशा क्या है। क्या यही लोग तो हर पंचायत को खराब नहीं कर रहे हैं। मेरा कहने का मतलब है कि क्या ये पहले कभी गाँव के पंच-सरपंच रहे हैं और तबसे ही हर पंचायत में दखल करते आ रहे हैं। तो इस दखलंदाजी के पीछे इनका मकसद क्या हो सकता है? आप खुद समझदार हैं। अगर लोहारी का भला चाहते हो तो इस बार नई पंचायत में पुराने पंचायतियों, उनके परिवार-रिश्तेदारों, चापलूसों में से किसी को भी नई पंचायत में (पंच-सरपंच, ब्ला ॅक समिति सदस्य, जिला पार्षद सदस्य) न चुना जाए। और इन पुराने पंचायतियों, उनके परिवार-रिश्तेदारों, चापलूसों में से किसी की भी नई पंचायत में किसी भी तरह से कोई दखलंदाजी भी नहीं होनी चाहिए। वरना हमारे गाँव को कोई नहीं बचा सकता। इन लोगों का खुलकर बायकाट कीजिए कि आपने इतने साल चौधर की, उसमें दखलंदाजी भी की तो क्या विकास करवाया लोहारी का। बस अब और नहीं
इसके अलावा एक और बात जो मैं हमेशा से चिल्ला-चिल्ला कर कहता आ रहा हूँ कि नेताओं के करीबियों व अपनी-अपनी जाति के ठेकेदारों को भी नई पंचायत में भूलकर भी न चुनें वरना फिर से आप अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार बैठेंगे। क्योंकि चुने जाने के बाद ये मनमानी करेंगे और गाँव के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार करेंगे तो आप इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे, उल्टा आवाज उठाने की जहमत उठाई तो आप खुद किसी झूठे मुकदमे में उलझ सकते हैं। मनरेगा घोटाला आपके सामने है...आप सब जानते हैं ,भ्रष्टाचारियों को बचाने वाले कौन थे। तो गाँव के मौजूदा हालात तो यही कह रहे हैं कि ऐसे लोगों की नई पंचायत में परछाई भी न पड़ने पाए। बाकि मर्जी आपकी है, गाँव को फिर से लुटवाना है या गाँव को चमकाना है।
इन सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कीजिए, पूरा सच आपके सामने होगा
1. क्या मनरेगा में पंच ,सरपंचों, मेटों द्वारा गरीब मजदूरों का हक डकारकर लाखों रुपए की लूट म चाई गई थी या नहीं ? जिन रसूखदारों के मनरेगा के फर्जी जॉब कार्ड बनाकर बिना काम किए फर्जी हाजिरी लगाकर उनके खातों में लाखों रुपए डाले गए, क्या वह जायज था।
2. मनरेगा की इस खुली लूट में शामिल डकैत किन पंच-सरपंचों के परिजन, करीबि व चापलूस थे व उन पर किन नेताओं का हाथ था और किन लोगों ने इन्हें बचाया?
3. मनरेगा घोटाला 20 लाख रुपए से अधिक का था जिसमें से महज 6 लाख का घोटाला पकड़ में आया ? क्या उन 6 लाख रुपयों की आज तक रिकवरी हुई अगर नहीं तो क्यों नहीं ?
4. किन-किन वर्तमान पंचायतियों, नंबरदारों, पूर्व पंचायतियों, नेताओं के करीबियों व रसूखदारों इनके चेले-चपाटों, चापलूसों के घर,आंगन, पशुओं के बाड़े व खेतों में सरकारी /पंचायती फंड का दुरुपयोेग कर रेवड़ियां बांटी गई हैं।
5. किन-किन वर्तमान पंचायतियों, नंबरदारों, पूर्व पंचायतियों, नेताओं के करीबियों व रसूखदारों इनके चेले-चपाटों, चापलूसों के घर,आंगन, पशुओं के बाड़े व खेतों में सरकारी ब्लॉक लगे हैं।
6. किन-किन वर्तमान पंचायतियों, नंबरदारों, पूर्व पंचायतियों, नेताओं के करीबियों व रसूखदारों ने पंचायती/ शमलाती जमीन व जोहड़ों पर अवैध कब्जे किए हुए हैं। इन अवैध कब्जाधारकों को शह कहाँ से मिल रही है? आखिर ये लोग किन नेताओं के करीबि हैं।
7. वे कौन पूर्व पंचायती हैं जो हर बार की पंचायत में किसी न किसी तरीके से अपना दखल रखते हैं। वे या तो किसी पंच-सरपंच से नजदीकी बनाकर या फिर गाँव की किसी कमेटी/ट्रस्ट के कर्ता-धर्ता बने मिलेंगे या फिर पंचायत से सरकारी मलाई खाने का कोई न कोई जुगाड़ इनके पास जरुर मिलेगा।
जिस दिन आप उपरोक्त सवालों के जवाब खोज लेंगे, हमारे गाँव को विकसित गाँव बनने से कोई नहीं रोक सकता।
लोहारी राघो पंचायत चुनाव में इस बार ये मुद्दे सबसे टॉप पर होने होने चाहिए, गाँव वालों से निवेदन वोट मांगने वालों से इस बार इन मुद्दों पर जवाब-तलब जरुर करें
1. पंचायती जमीन जोहड़ों से अवैध कब्जे हटवाना
2. मनरेगा घोटाले की रिकवरी
3. ग्राम सचिवालय का निर्माण, उप तहसील घोषित हो
4. जिन पंचायतियों के घरों, आंगन, पशुओं के बाड़े, खेतों में सरकारी फंड का दुरुपयोग किया गया है, उनके खिलाफ एक्शन
5. गाँव से नशाखोरी खत्म करके गाँव में कोई खेल स्टेडियम का निर्माण हो। बेहत्तर खेल सुविधाएं मिले।
6. गाँव के सार्वजनिक स्थानों, मुख्य मार्गों, जोहड़ों-ड्रेनों की सफाई
7. हर्बल पार्क और लाईबे्ररी जो गाँव को मिली हुई है कितने सालों से लेकिन इन पर काम शुरु नहीं हुआ है
8. पीएचसी का निर्माण जल्द शुरु हो
9. पुलिस चौकी का निर्माण
10 गाँव में कोई उच्च शिक्षण संस्थान हो, सरकारी स्क्ूल में सार्इंस, कोमर्स की कक्षांएं शुरु हों
11. एक सबसे अहम एक निगरानी कमेटी बनाई जाए जो आने वाली पंचायत के हर काम पर पूरी नजर रखे
बाकि कोई और बात जो आपकी नजर में हो, उसे भी रख सकते हो।
इस बार पंचायत चुनाव में इन उम्मदवारों को चुनें
- अगर संभव हो तो इस बार पूरी की पूरी युवा पंचायत चुनें। नई पंंचायत में 40-45 उम्र से ज्यादा का कोई न हो।
- गाँव के सभी 18 वार्डों में एक-एक इमानदार युवा का चयन हो जो पंचायती फंड में से एक चाय का कप भी न पीने वाली सोच रखता हो। अगर हो सके तो सभी पंचों का चुनाव सर्वसम्मति से हो।
- पुराने पंचायतियों जैसे पूर्व पंच, सरपंच, ब्लॉक समिति सदस्य, जिला पार्षद या उनके परिवारों, रिश्तेदारों, करीबियों, चापलूसों में से भी किसी को न चुनें, वरना गाँव का सत्यानाश ही होना है।
- यदि लोहारी राघो का वास्तव में भला चाहते हो तो गाँव का सरपंच चुनते समय जात-पात को एक तरफ रखना होगा। सबसे पहले यह देखें कि क्या उम्मीदवार ने गाँव के हक के लिए कभी आवाज उठाई है। क्या उम्मीदवार ने गाँव में कोई विकस कार्य करवाए हैं।
- क्या सरपंच बनने को फड़फड़ा रहे शख्स ने गाँव में हो रहे गलत कार्यों का कभी पुरजोर तरीके से विरोध किया है। क्या सरपंच बनने को फड़फड़ा रहे शख्स ने गाँव की पंचायत में हुए घोर भ्रष्टाचार, मनरेगा घोटाला व गाँव की बेशकीमती पंचायती जमीन पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ कभी आवाज बुलंद की। यदि कोई इंसान गलत को गलत नहीं बोल सकता तो ऐसे आदमी को बिल्कुल भी सरपंच न चुनें। एक बात और देखी जाए कि कहीं सरपंच बनने वाला शख्स किसी भी तरीके से पूर्व पंचायतियों (पूर्व पंच-सरपंचों, ब्लॉक समिति सदस्यों) की किसी भी तरह से कठपुतली तो नहीं? यदि आपको लगता है कि उम्मीदवार का पुरानी पंचायतों के भ्रष्टाचारियों से किसी भी तरह का कोई ताल्लुक रहा है और वह नई पंचायत में चुने जाने पर सारी व्यवस्था को खराब कर सकता है तो ऐसे उम्मीदवार से कन्नी काटने में ही गाँव का फायदा है।
- नई पंचायत चुने जाने के बात पुराने पंचायतियों जैसे पूर्व पंच, सरपंच, ब्लॉक समिति सदस्य, जिला पार्षद या उनके परिवारों, रिश्तेदारों, करीबियों, चापलूसों की बिल्कुल भी दखलंदाजी बर्दाश्त न करें। क्योंकि वे लोग नए पंच-सरपंचों को भी भ्रष्टाचार के तरीके सीखाकर फिर से गाँव के विकास के लिए आया पैसा डकार सकते हैं क्योंकि यही धंधा वे पिछली पंचायतों से करते आ रहे हैं।
सभी युवाओं से निवेदन है कि मेरे सभी मैसेज को ज्यादा से ज्यादा शेयर व फोरवर्ड करें तथा अपने घर-परिवार के बुजुर्गों व उन सभी बड़ों को बताएं जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करते हैं ताकि वे भी इस पर कुछ मंथन करें। क्योंकि जब तक हमारे बुजुर्गों की आंखें नहीं खुलेंगी तब तक वो युवाओं को भी कैसे जागृत करेंगे।
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