फेस-टू-फेस। पंचायत चुनाव में जिला हिसार के ब्लॉक नारनौंद के वार्ड नंबर-29(रिजर्व) से जिला परिषद उम्मीदवार दीपक कुमार से खास बातचीत
- सरकारी योजनाओं में बंद करेंगे फर्जीवाड़ा व कमीशनखोरी, सिर्फ पात्र लोगों को ही दिलवाएंगे योजनाओं का लाभ : दीपक कुमार
सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा, कमीशनखोरी,भाई-भतीजावाद खत्म करना ही मुख्य मकसद
राजनीति में आने के सवाल पर दीपक का कहना है कि सत्ता कोई उपभोग का क्षेत्र नहीं अपितु राष्टÑ सेवा भावना है। समाज,गाँव व क्षेत्र में अब तक मिले सामाजिक अनुभव और लगातार गिरते राजनीति के स्तर में बदलाव के लिए ही राजनीति में आया हूँ। वर्तमान में परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व चाटूकारिता ने राजनीति के स्तर को इतना ज्यादा गिरा दिया है कि आज राजनेताओं पर विश्वास करना मुश्किल हो गया है कि कौन सही है और कौन गलत। भ्रष्टाचार को जन्म देने से लेकर उसे पालने-पोसने वाली राजनीति ही तो है। हर भ्रष्टाचार का जन्म राजनीति से ही होता है, यदि ईमानदारी से उसकी तह में जाकर झांका जाए तो। इससे पहले मेरा कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन पारदर्शी राजनीति के गुर बखूबी जानता हूँ। दीपक बताते हैं कि गाँवों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी ज्यादा गहरी हो चुकी हैं जिसका खात्मा करना बहुत जरुरी है। वे खुद भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं तो इसकी पीड़ा को बखूबी समझते हैं। वे बताते हैं कि एक बार इंदिरा आवास योजना के तहत उनकी 50 हजार रुपए की धनराशि पास हुई थी जिसमें से उन्हें मात्र 38 हजार रुपए ही मिल पाए थे। शेष 12 हजार रुपए पास करवाने वाले गाँव के ही दलाल व अफसर मिलकर डकार गए। अब आप खुद समझ सकते हैं गाँवों में भ्रष्टाचार किस हद तक पनप चुका है। केंद्र व राज्य सरकार की गरीबों, किसानों मजदूरों, महिलाओं, विकलांगों, खिलाड़ियों समेत हर वर्ग के लिए सैकड़ों योजनाएं हैं जिनका असल लाभार्थियों को पता ही नहीं होता है। इन योजाओं का लाभ ज्यादातर गलत लोग ले रहे होते हैं। असल लाभार्थियों को यह लाभ कमीशनखोरी के बिना नहीं दिया जाता जैसा कि मेरे खुद के साथ हुआ है। अब आप खुद अंदाजा लगाएं यदि एक गाँव में आवास योजना के तहत 100 लोगों के मकान पास हुए तो इन दलालों ने कितने रुपए का भ्रष्टाचार किया होगा? जब एक मकान पर 12 हजार रुपए ले रहे हैं तो 10 मकानों पर 1 लाख 20 हजार और 100 मकानों पर 12 लाख रुपए। अब तो पीएम आवास योजना के तहत ढ़ाई से तीन लाख रुपए की रकम दी जाती है। गाँव के ये दलाल यदि 10 फीसद भी कमीशन लेते होंगे तो एक ही मकान से 25 से 30 हजार रुपए गरीब से लूटे या नहीं। गरीब लोगों के जागरूक न होने का पूरा फायदा उठाया जा रहा है। अब गरीबों को किसी कीमत पर नहीं लुटने दिया जाएगा। चुनाव के उपरांत हर सरकारी योजना का लाभ असली पात्रों को ही दिलवाएंगे और फर्जियों को किसी तरह का कोई लाभ नहीं लेने दिया जाएगा। फर्जी लोगों ने भ्रष्ट व्यवस्था के दम पर जितने गुलछर्रे उड़ाने थे, उड़ा लिए, अब यह सब नहीं चलेगा। योजना का पैसा जिसके लिए आया है, वास्तव में उसी को ही मिलेगा।
जिला पार्षद बनकर गाँवों में कुछ ऐसा करना चाहता हूँ जो हमेशा के लिए एक मिसाल बन जाए
दीपक का मानना है कि जिला परिषद का पद पंचायती राज व्यवस्था की जिला स्तरीय संस्था है। जिला परिषद का काम ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों को मार्गदर्शन देना भी है। अत: किसी भी जिले की पंचायत राज व्यवस्था के लिए वहाँ के जिला परिषद सदस्य का शिक्षित, जुझारु व सक्रिय होना बहुत जरुरी है। चुनाव लड़ने वाले अधिकतर उम्मीदवारों को तो इस पद की जिम्मेवारी व अहमियत की ही सही से जानकारी नहीं होती है तो वे विकास कार्य क्या खाक करवाएंगे। मैं जिला परिषद सदस्य बनकर अपने क्षेत्र के गाँवों में कुछ ऐसा करना चाहता हूँ जो पूरे हिन्दुस्तान में एक मिसाल बन जाए। गाँवों के तालाबों, नहरों, नालियों का कायाकल्प, अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कार्य, अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति, छात्रावास अनुदान, पुस्तक वितरण, शैक्षणिक व अन्य सामग्री की खरीद हेतू अनुदान दिलवाना भी प्रमुख रहेगा । इसके अलावा क्षेत्र के गाँवों में विकास की अनेक ऐसी नई योजनाएं शुरु करवाना चाहता हूँ जिससे हमारा इलाका तरक्की के नए आयाम स्थापित करे।
युवाओं पर रहेगा फोकस, नशे को खत्म कर खेलों को देंगे बढ़ावा
इलाके की प्रमुख समस्याओं के सवाल पर दीपक कुमार का कहना है कि हमारे इलाके में समस्याओं की कमी नहीं है। सबसे बड़ी समस्या युवाओं में बढ़ती नशाखोरी की है। चुनाव जीतने के उपरांत मुख्य फोकस युवाओं पर रहेगा। गाँवों में व्यायामशालाएं, खेल स्टेडियम व खेल मैदान बनाए जाने पर जोर दिया जाएगा ताकि युवा नशों को छोड़ खेलों में भाग लें। दीपक के मुताबिक गाँवों में अनेक खेल प्रतिभाएं हैं लेकिन संसाधनों के अभाव में पिछड़ कर रह जाते हैं। हर गाँव में खेल सुविधाओं का होना बहुत जरुरी है। चुनाव उपरांत सबसे पहले क्षेत्र के हर गाँव में खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी ताकि हमारी मिट्टी में भी राष्टÑीय व अंतराष्टÑीय स्तर के खिलीाड़ी पैदा हों। हमारे गाँवों में शिक्षा व रोजगार भी एक बड़ी समस्या है। सभी गाँवों के स्क्ूलों में आधुनिक सुविधाओं व शिक्षा के स्तर में सुधार पर पूरा जोर लगाया जाएगा। खासकर बेटियों को शिक्षा प्राप्ति में किसी तरह की कोई कठिनाई न हो, इस पर विशेष ध्यान रहेगा। गाँवों में नागरिकों व पशुओं के लिए स्वच्छ पेयजल का प्रबंध किया जाएगा। गाँवों में सबसे बड़ी समस्या कूड़ा उठान की भी है जो कि स्वच्छता में बहुत बड़ी बाधा है। बरसात के दिनों में यही कूड़ा बहकर तालाबों में चला जाता है जिससे पशु बीमार पड़ जाते हैं। इस समस्या का भी ग्रामीणों के सहयोग से ठोस समाधान किया जाएगा।
चाटूकारों की तरह घोषणा नहीं जिम्मेदारी से पूरे करुंगा वादे
चुनावी घोषणापत्र के सवाल पर दीपक कुमार का कहना है कि शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार मेरी पहली प्राथमिकता रहेगी। युवाओं के लिए खेल स्टेडियम, व्यायामशालाएं, तालाबों का सौंदर्यकरण व गाँवों में स्वच्छ पेयजल का प्रबंध भी मुख्य कार्य रहेंगे। उन्होंने कहा कि जिला परिषद का पद गाँवों के विकास के लिीए अहम होता है। मैं अपने चुनावी घोषणा पत्र में जो भी वादे करुंगा, उन्हें पूरी ईमानदारी व कर्मठता के साथ पूरा भी करुंगा न कि दल-बदलू राजनीति करने वाले चाटूकारों की तरह सिर्फ चुनावी घोषणा। मैं ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़ा हूँ और यहाँ की समस्याओं से भलि-भांति वाकिफ भी हूँ। इसलिए मैं अपने इलाके के ग्रामीणों को विश्वास दिलाता हूँ कि चुनावी घोषणापत्र में जो भी वादे करुंगा, एक-एक वादे को पूरा किया जाएगा।
हर दो माह में बैठक बुला ग्रामीणों को दिया जाएगा पूरा हिसाब-किताब
विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के सवाल पर दीपक कुमार ने कहा कि सबसे पहले तो मैं बता दूँ कि मेरे इलाके के सभी गाँव मेरा परिवार हैं। और कोई भी इंसान अपने परिवार से भ्रष्टाचरण नहीं कर सकता। उस व्यक्ति से ज्यादा गिरा हुआ कोई ओर नहीं होगा जो अपने परिवार के साथ ही धोखा करता हो, अपने परिवार के लोगों के हक का पैसा भ्रष्टाचार करके डकारता हो। मेरा परिवार वर्ष 2010 में भ्रष्टाचार को झेल चुका है अच्छी तरह से जानता हूँ कि भ्रष्टाचार के डंक की पीड़ा क्या होती है। मैं पहले ही ब ता चुका हूँ कि इंदिरा आवास योजना के तहत मकान के निर्माण के लिए मेरे परिवार के लिए 50 हजार रुपए की धनराशि पास हुई थी जिसमें से हमें मात्र 38 हजार रुपए ही मिल पाए थे। शेष 12 हजार रुपए पास करवाने वाले गाँव के ही दलाल व अफसर मिलकर डकार गए। मैं बता नहीं सकता, उस समय मेरे परिवार ने उस भ्रष्ट दलाल को कितनी ज्यादा बददुआएं दी थी। और मैं कदापि नहीं चाहूँगा कि ऐसी ही बददुआएं मुझे भी मिलें। एक बात और बताना चाहता हूँ कि गाँव के लोग मेरे परिवार की साफ छवि से भली-भांति परिचित हैं। यदि मेरा जिला परिषद सदस्य के लिए चयन होता है तो अपने क्षेत्र के सभी गाँवों का बगैर भेदभाव विकास करूंगा। जातिवाद, भाई-भतीजावाद का हमेशा से ही घोर विरोधी रहा हूँ। मैँ वादा करता हूँ कि मेरे हर काम में पारदर्शिता रहेगी। क्षेत्र के गाँवों के लोगों को विश्वास दिलाने के लिए मैं हर दो माह में एक बार सांझा बैठक बुलाउंगा जिसमें बीते दो माह में किए गए विकास कार्यों का लेखा-जोखा दिया जाएगा कि किस मद से कितना पैसा आया था और अब तक किस विकास कार्य पर कितना पैसा खर्च किया जा चुका है और कितना पैसा शेष है। इन बैठकों में ग्रामीणों से गाँवों में विकास को लेकर सुझाव भी लिए जाएंगे। एक-एक सुझाव पर अमल होगा। इन सुझावों के मुताबिक ही गाँवों में विकास कार्य करवाए जाएंगे।
ग्रामीणों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए वर्तमान जिला पार्षद
वर्तमान में वार्ड-29 के गाँवों के जो हालात हैं, किसी से छिपा नहीं है। मौजूदा जिला परिषद सदस्य हैं, वे वार्ड के गाँवों के लोगों की उम्मीदोें पर खरा नहीं उतर पाए जिससे क्षेत्रवासियों में रोष है। यदि जन प्रतिनिधि ने इलाके में कोई कार्य किए होते हैं तो जनता उन्हें फिर से सिर माथे पर बैठाते हुए दोबारा से निर्वाचित करती है। लेकिन जो पद मिलने के बाद अपनी स्वार्थ सिद्धी में उसका दुरुपयोग करते हैं तो वहीं जनता उनकी जमानत तक जब्त कर देती है। अब वो ज माना नहीं रह या है कि गाँवों के लोगों को बहकाकर वोट ले लिए जाएंगे। अब गाँवों के लोग जागरुक हो चुके हैं, सब समझने लगे हैं।
वोट डालने से पहले उम्मीदवार के पिछले रिकॉर्ड को जरुर देखें
दीपक कुमार को पूरा विश्वास है कि क्षेत्र के मतदाता उनके साथ हैं। क्योंकि उनके परिवार की स्वच्छ छवि से सभी भली-भांति परिचित हैं। मेरा परिवार हमेशा ही गाँव से जुड़ा रहा है। समाज के लोगों व सभी गाँवों के ग्रामीणों ने मिलकर ही मुझ े इस चुनाव में उम्मीदवारी के लिए प्रेरित किया है। तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि चुनाव उपरांत सभी की उम्मीदों पर खरा उतरुंगा। उन्होंने गाँवों के वोटरों के नाम संदेश दिया है कि आप वोट डालने से पहले उम्मीदवार के पिछले रिकॉर्ड को अवश्य जांच लें कहीँ वह भ्रष्टाचारी तो नहीं है। कहीं वह किसी समाज की ठेकेदारी तो नहीं कर रहा है और कर रहा है तो उसने अपने घर-परिवार में क्या-क्या निजी लाभ लिए हैं। ऐसे उम्मीदवारों को पहचानें और इस चुनाव में बाहर निकाल फैकें, वरना अगले पांच साल हमारे गाँवोें के भविष्य के लिए बेहद भयावह होंगे।
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