- 73 साल पहले वर्ष 1949 में हुई शुरुआत
- राजधानी दिल्ली समेत दूर-दराज से देखने आते थे दर्शक
- बिजली न होने के कारण दर्शकों द्वारा लाए लैंप की रोशनी में होता था रामलीला मंचन
- शुरुआत में ग्रामीणों के घरों से एकत्रित चद्दरों का पर्दों के तौर पर होता था इस्तेमाल
- पाकिस्तान से जुड़े हैं लोहारी राघो रामलीला के तार
संदीप कम्बोज
लोहारी राघो। ऐतिहासिक गाँव लोहारी राघो हजारों साल पुराने इतिहास के साथ-साथ सदियों पुरानी संस्कृति को भी अपने साथ लेकर चल रहा है। ( history-of-lohari-ragho-ramlila) सदियों से रामलीला हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। एक जमाने में गाँव लोहारी राघो की मशहूर रामलीला की चर्चा भी इस कदर थी कि राजधानी दिल्ली समेत देश-प्रदेश के कोने-कोने से लोग अपने काम-धंधे छोड़कर स्पेशल यहाँ रामलीला देखने आते थे। 73 साल पुरानी यह रामलीला न केवल गाँव लोहारी राघो की शान है बल्कि सांस्कृतिक विरासत का शृंगार भी है। यहां परंपराओं का रस है, रामभक्ति का भाव है जो 10 दिन तक चलने वाले इस उत्सव से भक्तों व दर्शकों को बांधे रखता है। इस रामलीला की सबसे बड़ी खासियत है कि यह सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों को एक मंच पर साथ लाती है। यहाँ हर जाति, धर्म के कलाकार एक साथ मिलकर अभिनय करते हैं। वैसे तो गाँव लोहारी राघो में रामलीला की शुरुआत आज से ठीक 73 साल पहले वर्ष 1949 में हुई थी लेकिन इसके लिए तैयारियां वर्ष 1948 में ही शुरु कर दी गई थी। लोहारी राघो में रामलीला मंचन की शुरुआत करने वाले सभी कलाकार वर्ष 1947 में भारत-पाक विभाजन के उपरांत पाकिस्तान से आकर गाँव लोहारी राघो में बसे थे। बताया जाता है कि इनमें से कुछ कलाकार पाकिस्तान में भी एक ही इलाके के रहने वाले थे और वहाँ भी वे एक साथ मिलकर 1940 से लगातार रामलीला मंचन करते आ रहे थे। लोहारी राघो में रामलीला की शुरुआत करने वाले कलाकारों में मुख्यत: स्वर्गीय लछमन दास जरगर, स्वर्गीय हंसराज चांदना, स्वर्गीय अमरनाथ भाटिया, भिष्मबर दयाल चांदना, स्वर्गीय सुरजीत भेड़गोट, डॉ. बलदेवराज शर्मा व नंदलाल लिखा समेत अनेक कलाकार थे जो पाकिस्तान से आकर गाँव लोहारी राघो बसे थे। आज हम आपको गाँव लोहारी राघो की मशहूर रामलीला की दिलचस्प व अनसुनी कहानी बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आप इससे पहले नहीं जानते होंगे। बता रहे हैं विलेज ईरा मासिक पत्रिका के संपादक संदीप कम्बोज ।
1949 में गठित हुआ रामा क्लब, डेरी वाले चौक में हुई थी सबसे पहली रामलीला वैसे तो लोहारी राघो में पहली रामलीला वर्ष 1949 में हुई थी लेकिन रामलीला मंचन की प्रक्रिया वर्ष 1948 में ही शुरु कर दी गई थी। लोहारी राघो में रामलीला की शुरुआत 23 सितंबर 1949 शुक्रवार के दिन हुई थी और इस साल 1 अक्तूबर 1949 को गाँव में पहली बार दशहरा पर्व के अवसर पर रावण दहन किया गया था। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं रामलीला मंचन की शुरुआत करने वाले सभी कलाकार पाकिस्तान से आकर लोहारी राघो में बसे थे। इन कलाकारों द्वारा वर्ष 1949 में ही रामा कल्ब का गठन कर लिया गया था। रामा कल्ब प्रधान अमरनाथ भाटिया को बनाया गया था जबकि सचिव भिष्मंबर दास चांदना थे। पहली ही बार में लोहारी राघो की रामलीला जबरदस्त हिट साबित हुई। गाँव लोहारी राघो की पहली व दूसरी रामलीला का आयोजन गाँव के मध्य स्थित डेरी वाले चौक में किया गया था। शुरुआत के कई साल तक न ही तो बिजली होती थी और न ही लाउडस्पीकर। रामलीला में आने वाले दर्शकों को ही घरों से लैंप आदि लेकर आने को कहा जाता था और उन्हीं लैंप की रोशनी में रामलीला मंचन किया जाता था। शुरुआत में रामलीला स्टेज पर पर्दे भी नहींं होती थे। घरों से चद्दरें मांगकर उन्हें ही पर्दों के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। इतनी असुविध् ााएं होत हुए भी लोहारी राघो की रामलीला ने विशेष पहचान बनाई। रामलीला पंडाल इतना ज्यादा ठसा ठस भर जाता था कि दर्शक रामलीला शुरु होने से काफी समय पहले आकर पंडाल में में बैठकर अपनी जगह सुरक्षित रख लेते थे।
यह है रामलीला की सबसे पुरानी व दुर्लभ तस्वीर
यह दुर्लभ तस्वीर वर्ष 1950 में आयोजित गाँव लोहारी राघो की दूसरी रामलीला की है। इस दुर्लभ तस्वीर में दिखाई दे रहे बहुत से कलाकार भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका अभिनय आज भी जीवित है। इस तस्वीर में भगवान राम के किरदार में नजर आ रहे हैं संतसिंह चावला वहीं रावण के रोल में हैं हंसराज चांदना। जी हाँ सबसे पहले भगवान राम व श्रवण का किरदार संत सिंह चावला अदा करते थे जबकि रावण का किरदार हंसराज चांदना। इसके अलावा तस्वीर में लक्ष्मण दास जरगर-नारद, डॉ. बलदेवराज शर्मा-दशरथ, गुरबख्श लाल खट्टर-सीता, सुंदरदास गुलाटी-कुंभकरण, सुरजीत भेड़गोट-मेघनाथ, नंदलाल लीखा-अंगद, ओमप्रकाश भ्याना-भगवान परशुराम व रामधन सिंदवानी-हनुमान के किरदार में नजर आ रहे हैं। लछमन दास जरगर नारद के रोल के साथ-साथ प्रख्यात हास्य कलाकार भी थे। इनकी नकलें यानि कोमिक (हास्य सीन)रामलीला की जान हुआ करते थे। इनके हास्य किरदार को देख दर्शक हंस-हंस कर लोट-पोट हो जाते थे। इस प्रख्यात हास्य कलाकार की जगह वर्तमान में पुष्कर भ्याना व वेदप्रकाश चांदना ने ले ली है।
90 के दशक में शुुरु हुई दो रामलीला, चलता था जबरदस्त कंपीटिशन लोहारी राघो में वर्ष 1949 में रामलीला की शुरुआत सबसे पहले डेरी वाले चौक से हुई थी। यहाँ दो साल तक रामलीला मंचन किया गया। तत्पश्चात वर्ष 1951 में रामलीला का स्थान बदल गया और अब रामलीला ठीक इसी जगह पर होने लगी जहाँ आज रामलीला मैदान बना है। रामा कल्ब रामलीला कमेटी द्वारा 1982 तक लगातार ठीक इसी जगह पर रामलीला मंचन होता रहा। तत्पश्चात एक बार रामलीला मंचन रूक गया और सरकार ने यहाँ विकास केंद्र बनाने की घोषणा कर दी और इस पर काम भी शुरु हो गया। वर्ष 1983-84 में गाँव में एक और श्री रामा क्लब का गठन हो गया। इस क्लब का डायरेक्टर मुनीष चराया का बनाया गया था जो कि निर्देशन के साथ-साथ लक्ष्मण का किरदार भी अदा कर रहे थे। नवगठित श्री रामा क्लब द्वारा वर्ष 1983-84 से लेकर वर्ष 1987 तक गाँव की पश्चिम दिशा में स्थित जंडी वाले जोहड़(तालाब) किनारे स्थित नादर राम कम्बोज के प्लाट में तो वर्ष 1988 के बाद सनातन धर्म रघुनाथ मंदिर के पीछे रामलीला मंचन किया गया। श्री रामा क्लब की वर्ष 1989 की रामलीला के दौरान कुछ कलाकारों के बीच किन्हीं बातों को लेकर आपसी मतभेद सामने आए। श्री रामा क्लब में मान-सम्मान न मिलने पर कुछ कलाकार अलग हो गए और उन्होंने वर्ष 1991 में आदर्श रामा क्लब की स्थापना कर अलग से रामलीला मंचन शुरु कर दिया। इस कल्ब के डायरेक्टर राजकुमार भट्टी थे जो निर्देशन के साथ-साथ रावण का किरदार भी निभा रहे थे। अब लोहारी राघो में एक साथ दो रामलीलाएं होने लगी थी। श्री रामा क्लब की रामलीला श्री सनातन धर्म रघुनाथ मंदिर के ठीक पीछे स्थित खाली प्लाट में तो आदर्श रामा क्लब की रामलीला इससे महज 200 मीटर की दूरी पर (मुंजाल वाले प्लाट) आयोजित होने लगी। वर्ष 1991 से वर्ष 2000 तक यही सिलसिला चलता रहा। कु छ साल तक दोनों ही क्लब रामलीला का आयोजन करते रहे लेकिन बाद में गाँव में आयोजित पंचायत में फैसला लिया गया कि एक साल में एक ही क्लब रामलीला का आयोजन कर सकेगा यानि कि एक क्लब का नंबर तीसरे साल में आएगा। आदर्श रामा क्लब ने वर्ष 2000 तो श्री रामा क्लब ने वर्ष 2002 में रामलीला मंचन बंद कर दिया। कई साल तक दोनों रामा क्लबों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला।
70 साल पहले जहाँ से शुरु हुआ मंचन, आज भी वहीं है राम दरबार
लोहारी राघो रामलीला के अध्याय में वर्ष 2003 में एक नया व रोचक मोड़ आया। गाँव के दोनों क्लब रामलीला मंचन बंद कर चुके थे लेकिन इन्हीं क्लब में काम करने वाले कुछ कलाकार रामलीला की वर्षों पुरानी इस परंपरा को किसी भी कीमत पर तोड़ना नहीं चाहते थे। रामलीला के पुराने कलाकार सुभाष चावला व मुख्य सेवादार इंद्रजीत तनेजा ने संयुक्त रूप से पहल करते हुए गाँव में रामलीला मंचन का बीड़ा उठाया लेकिन अन्य रामलीला कमेटियों ने न ही तो खुद रामलीला मंचन किया और न ही किसी तरह का सहयोग किया। इनका प्रयास रंग लाया व वर्ष 2003 में इन्होंने आदर्श विद्यालय के साथ रामलीला मंचन को हरी झंडी दे दी। वर्तमान रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले विक्रम चावला बताते हैं कि वर्ष 2005 तक उन्होंने बगैर संसाधनों के ही रामलीला का आयोजन किया लेकिन वर्ष 2006 में आदर्श रामा क्लब से सारा सामान मिलने के बाद रामलीला का सही व व्यवस्थित तरीके से मंचन शुरु किया गया। उस समय राम का किरदार नवीन यादव ने निभाया था। अब रामलीला क्लब के डायरेकटर महाबीर कलंदरी को बनाया गया था। इसके बाद कुछ वर्ष तक एससी धर्मशाला के पास भी रामलीला मंचन होता रहा। अब जहाँ रामलीला मैदान बना है, आज से करीब 70 पहले इसी जगह पर ही रामलीला मंचन की शुरुआत की गई थी जो कि करीब 34 साल तक लगातार जारी रहा था। विकास केंद्र के जर्जर भवन के ढ़ह जाने के बाद यहाँ फिर से रामलीला मैदान बनाया गया है और पिछले 8 साल से लगातार यहाँ रामलीला मंचन किया जा रहा है। वर्तमान में यहाँ श्री रामा क्लब लोहारी राघो रामलीला का आयोजन कर रहा है जिसके डायरेक्टर मुनीष चराया व महाबीर कलंदरी हैं। क्लब के प्रधान सेवक गुलशन भ्याना हैं जबकि कोषाध्यक्ष राजकुमार सेठी को बनाया गया है।
जब सरपंच विनोद भ्याना ने निभाया था रावण का किरदार लोहारी राघो की रामलीला हमेशा से ही दिलचस्प रही है। एक बार गाँव की रामलीला में उस समय रंग जम गया था जब रावण के किरदार में खुद गाँव के तत्कालीन सरपंच विनोद भ्याना नजर आए थे। विनोद भ्याना ने 1985 से लेकर 1995 तक श्री रामा क्लब द्वारा आयोजित रामलीला के दौरान लगभग 9-10 वर्ष तक रावण का किरदार निभाया था। बता दें कि विनोद भ्याना वर्तमान में हांसी के विधायक हैं।
ये हैं लोहारी राघो रामलीला के सबसे पुराने कलाकार हंसराज चांदना, लछमन दास जरगर, सुरजीत भेड़गोट,डॉ. बलदेवराज शर्मा, नंदलाल लीखा, संत सिंह चावला, सुंदरदास गुलाटी,ओमप्रकाश भ्याना, रामधन सिंदवानी, गुरांदित्ता चराया, साइंदित्ता,गुरबख्श लाल खट्टर, मथरादास भ्याना,भिष्मबर चांदना, मुकेश सिंदवानी,रामनाथ टूटेजा, खरैती लाल टूटेजा, रामजीदास पसरीजा,गिरधारी लाल भ्याना,हरबंस लाल शर्मा,किशोर लाल भ्याना, रूपलाल चराया
वर्ष 1991 से 2000 तक इन कलाकारों ने निभाए किरदार
किरदार श्री रामा क्लब आदर्श रामा क्लब
डायरेक्टर मुनीष चराया राजकुमार भट्टी राम भीम/महाबीर खरैती लाल/महाबीर लक्ष्मण मुनीष चराया रत्तन लाल/कृष्ण टूटेजा रावण मुकेश सिंदवानी राज कुमार भट्टी सीता लाजपत प्रेम कम्बोज हनुमान डॉ. कृष्ण मलिक किशोर लाल भ्याना विभीक्षण टीटी मलिक जयचंद कम्बोज
ये हैं भगवान राम का किरदार निभाने वाले कलाकार (अब तक)
- संतसिंह चावला
- राम सेठी
- रामनाथ टूटेजा
- खरैतीलाल टूटेजा
- महाबीर कलंदरी
- हर्ष भ्याना
रावण का किरदार निभाने वाले कलाकार (अब तक)
- हंसराज चांदना
- मुकेश सिंदवानी
- विनोद भ्याना
- राजकुमार भट्टी
- विक्रम चावला
वर्तमान में ये हैं लोहारी राघो रामलीला के कलाकार व प्रबंधन कमेटी
- गुलशन भ्याना (प्रधान सेवक)
- मुनीष चराया (डायरेक्टर)
- सुभाष चावला (पुराने कलाकार)
- इंद्रजीत तनेजा (सेवक, राम दरबार)
- महाबीर कलंदरी (डायरेक्टर)
- पुष्कर भ्याना (हास्य कलाकार)
- वेद प्रकाश चांदना (हास्य कलाकार)
- हर्ष भ्याना (श्री राम)
- साहिल चावला उर्फ टोनी (लक्ष्मण)
- विजय कुमार (सीता)
- कृष्ण भ्याना नंबरदार (हनुमान)
- विक्रम चावला (रावण)
- रामप्रकाश उर्फ टीटी मलिक (विभीक्षण)
- जतीन भ्याना (मेघनाथ)
- मुकुल भ्याना (कुंभकरण)
- डॉ. जिंदर (नारद व श्रवण)
- संदीप संबेरवाल (राजा दशरथ)
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