संदीप कम्बोज । www.lohariragho.in
लोहारी राघो। गाँव लोहारी राघो को इस बात का गर्व है कि यहां प्राचीन काल से ही शौर्य, राष्ट्रीय प्रेम, बलिदान व देश पर मर मिटने की उच्च परंपराएं रही हैं।(Contribution-of-Lohari-Ragho-in-the-first-freedom-struggle-of-1857) यहाँ के लोगों ने खेती-किसानी से लेकर रणक्षेत्र तक अपने पराक्रम और शौर्य के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लोहारी राघो अंग्रेजों के नादिरशाही कारनामों का भी साक्षी रहा है। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में लोहारी राघो के ग्रामीणों का योगदान अवीस्मरणीय है। 1857 के स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों ने जब इस गांव में घुसने का प्रयास किया था तो इस गांव के जांबाज रांगड़ तथा लुहार मुसलमानों ने गाँव के चारों तरफ खाई( गहरा नाला) खोद कर मोर्चे लगा दिए थे। इस दौरान यहाँ के बहादुर मुसलमानों ने अपने परंपरागत हथियारों भाला, जेली, बर्छी, तलवार, कुल्हाड़ी व गंडासी आदि से ब्रिटिश सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था। ग्रामीणों ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध अपना मोर्चा खोल दिया था जिस कारण उन्हें अंग्रेजों की यातनाओं और बर्बरता का शिकार होना पड़ा। रांगड़ों व लुहार मुसलमानों के हौंसले के आगे अंग्रेजों ने हथियार डाल दिए थे तथा उन्हें गांव के बाहर से ही बैरंग लौटना पड़ा था।
बाबा बख्शू शाह द्वारा लोहारी के चारों तरफ खींची गई लक्ष्मण रेखा भी नहीं लांघ पाई थी ब्रिटिश सेना
17वीं शताब्दी में लोहारी राघो की धरती पर अवतार लेकर धर्म, अध्यात्म, मानवता भलाई व रूहानियत का डंका बजाने वाले पीर बाबा बख्शू शाह ने अपने जीवन काल में ऐसे-ऐसे करिश्मे दिखाए जिन्हें सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। बाबा बख्शू शाह के परिजनों से मिली जानकारी मुताबिक लोहारी राघो पर अंग्रेजी सेना ने कई बार धावा बोला था लेकिन यहाँ के वीर योद्धाओं ने उनका डटकर मुकाबला किया। ऐसे ही 17 वीं शताब्दी में एक बार अंग्रेजी सेना लोहारी राघो पर घेरा डालने के लिए गाँव की तरफ बढ़ रही थी। जब इस बारे बाबा बख्शू शाह को पता चला तो उन्होंने गाँव के चारों तरफ एक लकीर(लक्ष्मण रेखा) खींच दी थी और वचन किए थे कि लोहारी राघो का कोई भी बाशिंदा इस लकीर को लांघकर दूसरी तरफ न जाए लेकिन बताते हैं कि इस दौरान एक मलंग (मंदबुद्धि) व्यक्ति आ टपका और ग्रामीणों को लकीर के उस तरफ जाने के लिए उकसाने लगा। काफी लोग उसके बहकावे में आ गए और लकीर (लक्ष्मण रेखा) लांघ गए। इस अंग्रेजी हमले में लोहारी राघो के अनगिनत लोग मारे गए थे। मृतकों में सभी लक्ष्मण रेखा लांघने वाले ही लोग थे। इस खून-खराबे के बाद ग्रामीणों को उकसाने वाला वह मलंग(मंदबुद्धि) भी दोबारा कभी नजर नहीं आया।
यह भी पढ़ें...
इनसे मिलिए ये हैं लोहारी राघो के ‘मिथुन’, सोशल मीडिया पर धूम मचा रहे इस स्टार गायक के वीडियो
कभी दिल्ली तक मशहूर थी लोहारी राघो की रामलीला, पढ़ें लोहारी राघो रामलीला की रोचक व अनसुनी कहानी
दशहरा स्पेशल : यही हैं लोहारी राघो रामलीला के असली ‘रावण’ जिनकी एक गर्जना से गूंज उठता था पंडाल
https://lohariraghohisar.blogspot.com/
लोहारी राघो के यू-ट्यूब चैनल को ज्यादा से ज्यादा सब्सक्राईब करें
https://www.youtube.com/channel/UChspBOwRmHW4ZGL3Px0rBeg
लोहारी राघो के फेसबुक ग्रुप को ज्वाईन करें
https://www.facebook.com/groups/lohariragho
लोहारी राघो को इंस्टाग्राम पर फोलो करें
https://www.instagram.com/lohariragho/
लोहारी राघो को ट्वीटर पर फोलो करें
https://twitter.com/LohariRagho
लोहारी राघो को pinterest पर फोलो करें
https://in.pinterest.com/lohariragho/_saved/
लोहारी राघो के whatsapp ग्रुप में जुड़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें