- 4 हजार साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिले बर्तनों की रिसर्च रिपोर्ट में दावा
- मिट्टी के बर्तनों और खानपान के तौर-तरीकों के आधार पर की गई है रिसर्च
यह फसलें उगाते थे लोहारी राघो के लोग इन बर्तनों से लिए गए सैंपल की जांच की गई तो पता चला कि इनमें मांस पकाया जाता था। उस दौर में जौ, गेहूं, चावल, अंगूर, खीरा, बंैगन, हल्दी, तिल और जूट की फसल उगाई जाती थी। इसके अलावा उस दौर की फसल का अध्ययन भी किया गया है।
मवेशियों में गाय-भैंस की संख्या ज्यादा रिसर्च के मुताबिक, उस दौर में गाय और भैंस मुख्य मवेशी थे क्योंकि इलाके के मिले हड्डियों के 50 से 60 फीसदी अवशेष इन्हीं के हैं। मात्र 10 फीसदी हड्डियां बकरियों की हैं। अवशेष बताते हैं कि उस समय के लोगों का पसंदीदा मांस बीफ और मटन रहा होगा। गायों का इस्तेमाल दूध के लिए किया जाता था। बैल खेती के लिए पाले जाते थे। इसके अलावा यहां सुअर, हिरण और पक्षियों के अवशेष भी मिले हैं।
अभी ये बात सामने आनी बाकी है सिंधु घाटी पर रिसर्च करने वाले अक्षयेता सूर्यनारायण कहते हैं,अभी ये सामने आना बाकी है कि जलवायु परिवर्तन के दौरान इनकी संस्कृति और खानपान में लगातार कितना बदलाव हुआ। इस पर रिसर्च की जानी बाकी है। मिट्टी के बर्तनों से यह भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी।अक्षयेता के मुताबिक, दक्षिण एशियाई शहरों में पुरातात्विक जगहों से मिले मिट्टी के बर्तनों का विश्लेषण करके हम प्रागैतिहासिक काल में दक्षिण एशिया में खान-पान की वैरायटी को समझ सकेंगे।
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