- कभी दूसरे राज्यों तक में विख्यात थी लोहारी राघो की रामलीला
- दैनिक जागरण ने लोहारी राघो रामलीला की कहानी को पहले पन्ने पर दिया स्थान
लोहारी राघो की रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। वर्षों पहले यहां की रामलीला को देखने के लिए अन्य प्रदेशों के लोग भी आते थे और इस रामलीला में पूर्व संसदीय सचिव विनोद भयाना ने भी रावण का किरदार निभा चुके हैं। देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए कुछ कलाकारों ने भी इस रामलीला के मंच पर बेहतरीन अभिनय कर कर अपनी अनूठी छाप छोड़ी थी। एक समय में मनोरंजन के लिए कुछ सीमित साधन ही होते थे उनमें से रामलीला का मुख्य स्थान था गांव में जब रामलीला होती थी तो दूर-दूर से उसको देखने के लिए दर्शक आते थे। ऐसा ही पुराना इतिहास लोहारी राघो की रामलीला का है। सन 1949 में इस गांव में रामलीला की शुरूआत श्री रामा क्लब से हुई थी। गांव वाले अपने साथ लैंप व दिये साथ लेकर आते थे और उसी रोशनी में रामलीला का मंच सजता था। उससे पहले यह कलाकार पाकिस्तान में भी रामलीला का मंचन करते थे। देश की आजादी के बाद सभी कलाकार अलग-अलग हो गए तो लोहारी राघो के ग्रामीणों ने सभी कलाकारों को अलग-अलग जगह से खोज कर 1949 में रामलीला का आयोजन किया और लगातार प्रत्येक वर्ष इस गांव में रामलीला होने लगी। इस गांव की रामलीला इतनी ज्यादा विख्यात हो गई दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों के भी दर्शक यहां पर रामलीला देखने के लिए पहुंचते थे। प्रदेश के पूर्व संसदीय सचिव और वर्तमान में हांसी के विधायक विनोद भयाना सन 1980 से लेकर 1985 तक इस रामलीला में सुग्रीव, अंगद और रावण के रोल अदा कर चुके हैं। 1950 में हुई रामलीला का फोटो लेने के लिए हांसी से एक फोटोग्राफर को बैलगाड़ी में बुलाया गया था और उस समय काफी बड़ा कैमरा होता था उसको देखने के लिए भी दूर-दूर से ग्रामीण गांव में पहुंचे थे।
दूसरे प्रदेशों से आते थे दर्शक 1950 में हुई रामलीला के कलाकार 86 वर्षीय प्रीतम मुसाफिर जो कि फिलहाल कलानौर में रहते हैं। उन्होंने बताया कि लोहारी राघो में रामलीला का मंचन देखने के लिए दूसरे प्रदेशों से भी दर्शक पहुंचते थे।
अलग ही रंग है मंचन का फिलहाल रामलीला में राम का रोल अदा करने वाले हर्ष भ्याणा ने बताया कि यहां की रामलीला काफी प्रसिद्ध थी और आज भी जो रामलीला होती है। वह काफी अलग तरीके से होती है। अब सोशल मीडिया व टेलीविजन की वजह से काफी कम ही दर्शक रामलीला देखने पहुंचते हैं। लेकिन सभी कलाकार अपने किरदारों में ऐसा दम भरते हैं कि दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
कालेज के दिनों में मिला था किरदार पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक विनोद भयाना ने बताया कि कालेज के दिनों में रामलीला में रोल करने के लिए एक छोटे से मंत्री का किरदार मिला था। उससे प्रभावित होकर रामलीला के डायरेक्टर ने मुझे अंगद, सुग्रीव और उसके बाद रावण का रोल दिया। रावण का रोल काफी ऐतिहासिक रहा जो कि दर्शकों को काफी पसंद आया। आज भी गांव की रामलीला देखने को काफी मन करता है।
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