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लोहारी राघो Exclusive : 1962 की जंग में लोहारी राघो के इस जवान ने भी दिखाया था अदम्य साहस, जानें कौन थे ये बहादुर जांबाज, पढ़ें राष्ट्रपति अवार्डी इस सैनिक की संपूर्ण कहानी

 हड़प्पाकालीन ऐतिहासिक गाँव लोहारी राघो की धरती ने अनेक ऐसे शूरवीरों को जन्म दिया है जिन्होंने भारत माता के दामन की रक्षा के लिए सरहद पर न केवल दुश्मनों से लोहा लिया बल्कि अपने अदम्य साहस और बहादुरी का भी परिचय दिया। आजाद हिंद फौज व भारतीय सेना में गाँव लोहारी राघो से अनेक जवानों ने देश की रक्षा में अपना फर्ज निभाया है और आज भी गाँव के अनेक युवा देश के विभिन्न हिस्सों में सरहद पर मातृभूमि की रक्षा में तैनात हैं। आज हम आपको गाँव लोहारी राघो के एक ऐसे सैनिक की कहानी बताने जा रहे हैं जो भारतीय सेना में अजेय बहादुरी की मिसाल हैं। यह कहानी है करीब 60 साल पूर्व वर्ष 1962 में चीन के साथ हुई जंग में हमारे देश के अभिन्न अंग लद्दाख की रक्षा के लिए अपने अदम्य साहस एवं बहादुरी का परिचय देने वाले भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट के जवान चंदगी राम सैनी की जिन्होंने हिम्मत के साथ चीनी सैनिकों का सामना किया था। चंदगी राम सैनी भी उन हिम्मती भारतीय सैनिकों में शामिल थे जिन्होंने बहुत सामान्य युद्ध सामग्री होते हुए भी अपने मुकाबले बहुत ज्यादा संख्या में आए सैनिकों को हमारी सीमाओं में घुसपैठ करने से रोक दिया था। पढ़ें जान हथेली पर रखकर दुश्मन का सीना चीरने वाले भारत माता के वीर सपूत की अमर कहानी। बता रहे हैं विलेज ईरा के संपादक संदीप कम्बोज

                                                           

लोहारी राघो। 2 जुलाई 1926 को जिला हिसार के गाँव लोहारी राघो में किसान हरी राम के घर जन्मे चंदगी राम को बचपन से ही देशसेवा का जुनून सवार था। (This-soldier-of-Lohari-Ragho-also-showed-indomitable-courage-in-the-1962-war) बाल्यकाल में वे अक्सर देशभक्ति व सैनिकों की ही बातें किया करते। उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना अगर कोई था तो वह भारतीय सेना में भर्ती होकर देश के लिए कुछ कर गुजरना था। 2 जुलाई 1945 की बात है। उस दिन वे पूरे 19 साल के हो चुके थे। इसी दिन जिला जींद के गाँव पांडु पिंडारा में धार्मिक मेला लगा था तो गाँव के लोगों के साथ वहाँ स्नान के लिए चले गए। चंदगी राम ने देखा कि वहाँ भारतीय सेना के लिए सैनिक भर्ती चल रही है। उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। दिल की मुराद जैसे पूरी हो चुकी थी क्योंकि अब वो वक्त आ गया था जिसके लिए वे अक्सर रातों को सपने देखा करते थे। देश सेवा की ललक लिए वे भर्ती के लिए लाईन में लग गए। भर्ती के सभी मापदंडों पर खरा उतरने पर इसी दिन यानि  2 जुलाई 1945 को उनका भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में चयन हो गया। गाँव लौटकर खुशी-खुशी परिजनों को सेना में चयन होने की सूचना दी तो माता-पिता भी बेहद खुश हुए। अब माता-पिता को चंदगी राम के विवाह की चिंता सताने लगी। गाँव पेटवाड़ के किसान परिवार की बेटी राम देवी के साथ विवाह बंधन में बंधने के उपरांत अपने कर्तव्य का निर्वहन करने भारत माता की सेवा में ड्यूटी पर पहुंच गए। आर्मी मेें ड्यूटी के साथ-साथ चंदगी राम ने मिडल तक की शिक्षा भी ग्रहण की। भारत विभाजन के समय वर्ष 1947 में चंदगी राम ने सेना में अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया था। सैनिक चंदगी राम के 3 पुत्र व 2 बेटियां हुई लेकिन दुर्भाग्यवश 2 पुत्रों व एक बेटी का बचपन में ही देहांत हो गया। चंदगी राम की सेना में भर्ती होने के कारण बेटे-बेटियों का पालन पोषण उनकी धर्मपत्नी राम देवी द्वारा ही किया गया। 24 साल तक मातृभूमि की सेवा करने के उपरांत 1 जुलाई 1969 को वे सेवानृवत्त हो गए तथा 1 मई 2011 को 85 वर्ष की आयु में भारत माता का यह लाल हमेशा के लिए हमें अलविदा कहकर गहरी नींद में सो गया।
1962 की जंग का जिक्र आते ही जोश से भर जाते थे चंदगी राम
वर्ष 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के दौरान भी चंदगी राम की भूमिका अहम रही। परिजन बताते हैं कि चीन के साथ 1962 की जंग का जिक्र आते ही वह जोश से भर जाते थे। वह याद करते हुए बताते थे कि उस वक्त चीनी फौज की तुलना में कमजोर रहने के बाद भी भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। परिजनों के मुताबिक उन्होंने बताया था कि, 'उस समय भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था। लेकिन फिर भी सैनिकों ने बहादुरी के साथ चीनी सेना का सामना किया। उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। उस लड़ाई में चीन का पलड़ा भारी रहा था। भौगोलिक स्थिति भी उनके पक्ष में थी और उनके सैनिकों की संख्या भी अधिक थी। हथियार भी उनके पास काफी अधिक थे लेकिन फिर भी भारत की सेना के आगे वे टिक नहीं  पाए थे।


सेना में बेहतरीन सेवाओं पर राष्ट्रपति ने किया था सम्मान
भारतीय सेना में बेहतरीन सेवाओं पर राष्ट्रपति
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने सैनिक चंदगी राम सैनी को सम्मानित भी किया था। यह वास्तव में गाँव लोहारी राघो के लिए एक गर्व का क्षण था। 

अपनी धर्मपत्नी श्रीमति राम देवी के साथ चंदगी राम सैनी

आर्य समाज से जुड़े थे चंदगी राम सैनी, गौ सेवा की भी गजब मिसाल
चंदगी राम सैनी धर्म-कर्म में बहुत ज्यादा विश्वास रखते थे। समाजसेवा के साथ-साथ हिन्दु धर्म में सुधार के लिए भी उन्होंने अनेक कार्य किए। महान समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर वे आर्य समाज से जुड़ गए तथा समाज को जागृत करने को जागरूकता अभियान चलाए। गौ सेवा को भी उन्होेंने अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया था। वे अपने घर पर नियमित हवन भी किया करते थे। उनके द्वारा बजाया जाने वाला तुम्बा आज भी परिजनों ने सहेज कर रखा है।


पौत्र बलराज सैनी भी दादा की राह पर, समाज कल्याण विभाग में 10 साल से दे रहे सेवाएं
फिलहाल र्स्वगीय चंदगी राम सैनी के सुपुत्र राजकुमार सैनी गाँव लोहारी राघो तथा बेटी राजो देवी टोहाना में अपने भरे-पुरे परिवार के साथ रह रहे हैं। राजकुमार सैनी गाँव लोहारी राघो में किसान के साथ-साथ डिपो धारक भी हैं। इनके पौत्र बलराज सैनी ने भी अपने दादा के पदचिन्हों पर चलते हुए समाजसेवा को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाया और वे पिछले 10 साल से हिसार में जिला समाज कल्याण कार्यालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अभी हाल ही में हिसार जिला उपायुक्त प्रियंका सोनी द्वारा समाज कल्याण विभाग में बेहतरीन सेवाओं की बदौलत बलराज सैनी को सम्मानित भी किया गया था। 

समाज कल्याण विभाग में बेहतरीन सेवाओं पर बलराज सैनी को सम्मानित करती हिसार जिला उपायुक्त प्रियंका सोनी।

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